उत्तर प्रदेश की संगमनगरी प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की शुरुआत होने वाली है. इस आस्था के समागम से पहले आजतक ने प्रयागराज में धर्म संसद का आयोजन किया जिसके 'सत्य वचन' सेशन में ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शामिल हुए और इस दौरान उन्होंने देश में मंदिरों की खोज, कुंभ मेले के आयोजन, देश में जाति जनगणना, वक्फ बोर्ड के मेले की जमीन पर दावे पर अपनी राय रखी.
'RSS हिंदू संगठन नहीं'
धर्म संसद के 'सत्य वजन' सेशन में जब संजय शर्मा (एडिटर, नैशनल ब्यूरो आजतक) ने सवाल किया कि देश में कई जगह खुदाई चल रही है. कुछ चीजें खो रही हैं कुछ मिल रही हैं. आरएसएस के मोहन भागवत ने कहा है कि अब ये खोजने का सिस्टम बंद होना चाहिए, कब तक खोदते रहेंगे. इस पर आप क्या कहेंगे. तो उन्होंने कहा, 'पहली बात तो ये है कि उन्होंने किससे कहा. ऐसा आप कह रहे हैं कि हिंदू समाज से कहा. हिंदू समाज से कौन कह सकता है जो हिंदू समाज के लिए समर्पित हो और हिंदू समाज के लिए काम करता हो. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने ना जाने कितनी बार कितने पटल पर यह साफ किया है कि हम हिंदू संगठन नहीं हैं. हम तो अलग तरह के सामाजिक संगठन हैं. जब वो हिंदू संगठन ही नहीं है तो हिंदुओं को निर्देश देने का उनको कौन सा अधिकार है. '
मोहन भागवत की बात हम क्यों सुनें
'उनको कोई अधिकार ही नहीं है.अनाधिकार चेष्टा कोई भी करे वो तात्पर्य हीन होती है. इसलिए हिंदुओं का जो व्यक्ति होगा, हिंदू भावना को समझना होगा तो हम उसको सुनेंगे लेकिन अगर कोई ऐसा व्यक्ति जो कहता हो कि हम हिंदू संगठन नहीं है तो हम क्यों सुनेंगे इसलिए उनकी बात कोई नहीं सुन रहा.'
इतिहास जानने के लिए जांच जरूरी
ये भारत खोदो अभियान जो चल रहा है, कुछ लोग इसे सही तो कुछ गलत मानते हैं. आपके क्या विचार हैं? उन्होंने कहा, 'पुरातत्व विभाग को बंद कर दो. उत्खनन क्यों करवाते हो. आप अरबों रुपये खर्च करते हो. जगह-जगह आपके वैज्ञानिक उत्खनन कर रहे हैं. वो क्यों करते हैं, वो इसलिए करते हैं ताकि हमें इतिहास का पता चल जाए. तो हमारा जो इतिहास है हिंदुओं का. अगर हम अपने इतिहास को जानने के लिए कहीं पर खुदाई की मांग करते हैं तो उसके लिए हमें मना क्यों करते हो. जब आपका सरकारी काम सही हो सकता है तो हमारी मांग कैसे गलत हो सकती है. उसके लिए भी अनुमति दो. दूध का दूध और पानी का पानी करो. इस पर क्यों सुविधा खोजते हो, ये हमारा सवाल है.'
जब उनसे पूछा गया कि अयोध्या से मामला शुरू हुआ था, वहां से निपटने के बाद फिर काशी और मथुरा आए और अब संभल, रोज नई चीजें सामने आ रही हैं. तो ये कहां तक और कब तक इसके पीछे जाएंगे. वो कहते हैं, 'ये कोई बात नहीं है कि कहां तक जाएंगे जहां तक हमारे ऊपर अत्याचार हुआ होगा, उसकी सच्चाई जानने के लिए कि हम वहां तक जाएंगे. ये जो बात फैलाई गई हैं वो भ्रांति है या सच्चाई है, उसे जानना होगा. हमको पूरे देश में शांति चाहिए इसलिए इन भ्रांतियों को दूर होना होगा.'
सीरिया में भी मंदिर के निशान मिले
ऐसा कहा जा रहा है कि सीरिया और कजातिस्तान जैसी जगहों पर भी मंदिर के निशान मिल रहे हैं, शिवलिंग मिल रहे हैं. इस पर उन्होंने कहा, 'देखिए किसी मंदिर का मिलना और किसी मंदिर को तोड़कर उसकी रूपरेखा को बदल देना, दोनों में बहुत अंतर है. कोई प्राकृतिक घटना भूकंप या आपदा आई तो वो चीजें छिप गईं, वो एक अलग बात है. वहां खुदाई होगी तो निकलेंगे लेकिन यहां बात ये हो रही है कि बलपूर्वक हम हिंदुओं को नीचा दिखाने के लिए, हमें कमजोर साबित करने के लिए किसी जगह के स्टेटस (पारिस्थिति) को बदला गया. दोनों अलग बातें हैं. दोनों को मिलाकर राजनीति नहीं करनी चाहिए.'
सनातन धर्म में वर्ण व्यवस्था है एक जाति व्यवस्था है तो इसमें क्या समानता है और क्या अंतर है, इसे कैसे समझा जाए?
इस पर स्वामी जी ने कहा कि वर्ण व्यवस्था भगवान द्वारा निर्मित है. गीता और कई वेदों में कहा गया है कि ये भगवन निर्मित है. तीन गुण हैं सत, रज और तमो गुण हैं. जिसमें सत गुण होता है वो ब्राह्मण होता है जिसमें सत और रज गुण होते हैं वो क्षत्रीय होता है. जिसमें रज गुण की प्रधानता है लेकिन तमो गुण भी मिश्रित है वो वैश्य होता है और जिसमें सीधे तमो गुण होता है वो शूद्र होता है तो तीन गुण के कारण चार वर्ण उत्पन्न हुए हैं. भगवान कहते हैं मया सृष्टं...यानी सबको मैंने बनाया है.
राजनीति के लिए जातियों में बांटा गया
'ये जातियां काम करने के कारण बनीं. हमनें अजीविका के लिए एक हुनर अपनाया और उसे ही परंपरागत तरीके से करते गए तो उसी काम को करने के कारण हमारी पहचान हो गई. उसी पहचान और धारणा को लेकर हम आगे बढ़े जा रहे हैं वो जाति है. वर्ण भगवान द्वारा निर्मित है और जो जातियां हैं वो हमने अपने स्वयं के काम के द्वारा बना ली हैं. हम उसमें सुविधा महसूस करते हैं इसलिए उसको छोड़ नहीं रहे.'
जातिगत जनगणना में राजनीति ना हो
जो जातिगण जनगणना हो रही है, इस पर आपके क्या विचार हैं? इस पर वो कहते हैं, 'जातिगण जनगणना में कोई खराबी नहीं है. अगर सरकार जानना चाहती है कि हमारे देश में कितनी जातियां हैं, उनकी क्या स्थिति है तो ये करना चाहिए और आंकड़े अपने पास रखने चाहिए. लेकिन जब वो कहते हैं कि राजनीति के लिए जातिगत जनगणना करेंगे और दूसरा कहता है कि किसी हालत में नहीं होने देंगे तो ये गलत है. राजनीति के लिए जनगणना करोगे तो समाज टूट जाएगा लेकिन कल्याण के लिए करागे तो अच्छा होगा. अगर अच्छे कारण से करनी है तो हम समर्थन करेंगे लेकिन राजनीति के लिए करेंगे तो हम खिलाफ हैं.'
वो कहते हैं, 'जन्म से जाति या कर्म से जाति' पुरानी डिबेट है. राजनीतिक लोग इस पर डिबेट करते हैं लेकिन हल नहीं निकालते क्योंकि इसी में फायदा है. देखिए हमारी जो सरकार है वो जन्म से जाति वाली धारणा को मानती है और कर्म से जाति को नहीं मानती है. अगर आप अमुक जाति में पैदा हुए हैं तो उसी जाति का आपको प्रमाण पत्र मिलेगा और आपके साथ उसी जाति के अनुसार व्यवहार होगा.'
वो आगे कहते हैं कि अगर आपके यहां कोई दूसरी जाति की कन्या विवाह करके आ गई तो अगर वो मांग करे कि अब मैं इसी जाति में रहूंगी तो सुप्रीम कोर्ट कहता है कि तुम उस जाति की नहीं हो, तुम पहले वाली जाति के हो. हम तो कहते हैं कि हमारे वर्ण में अंत वर्ण हैं. खुद ब्राह्नण जाति में भी ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य और शूद्र होते हैं. इन चार वर्ण में कोई समस्या नहीं है. राजनीतिक लोग ये सब बातें बांटने के लिए करते हैं.
एक आदमी ने पूछा कि मैं नीचा हूं तो मैंने दिया ये जवाब
उन्होंने कहा, 'मेरे पास एक व्यक्ति आया और उसने कहा कि लोग हमसे कहते हैं कि हम नीचें हैं तो मैंने कहा कि क्या प्रमाण है. वो बोला कि आप मुख से उत्पन्न हुए हैं तो आप ऊंचे हैं और हम पैर से उत्पन्न हुए हैं तो हम नीचे हैं. मैं बैठा था उस वक्त और उनकी बात सुनकर लेट गया और फिर पूछा कि अब बताओ कि कौन ऊंचा है और कौन नीचा है. इस पर वो हंसने लगेगा. मैंने फिर कहा कि सुनो सुबह आना, तब मैं शीर्षासन करता हूं. तब हमसे पूछना कि कौन ऊंचा है और कौन नीचा है. तब तो सिर ही नीचा हो जाता है.'
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अनुसार, हम सनातन धर्मी हैं. सोने की एक मूर्ति बनाओ किसी की भी और उसके पैर काट लो, सिर काट लो और धड़ काट लो...चार टुकड़े करके सुनार के पास जाओ. तो क्या सुनार उस मूर्ति के अलग-अलग अंगों के अलग-अलग दाम लगाएगा. सोने की मूर्ति है तो उसके सिर के भी वही दाम होंगे और पैर के भी वही. हम सभी परमात्मा की संतान हैं और इसी को व्यवहारिक रूप से दिखाने के लिए कुंभ पर्व है.
वक्फ साबित करे कुंभ की जमीन उसकी तो मैं वापस दिलाऊंगा
कुंभ मेले की जमीन पर वक्फ कह रहा है कि हमसे छीन ली गई है, ये हमारी है. इस पर महाराज जी ने कहा, 'वो कह रहे हैं कि हमने छीनी गई तो पहले ये बताओ कि पकड़ के कौन रखा था. आपसे किसने छीनी है, उसका नाम बताओ. हमारे धर्म में कहा जाता है कि अगर आपने किसी की भूमि पर बैठकर तप किया तो उस तप का कुछ फल उस भूमि के स्वामी को भी जाएगा. इसलिए अगर हमारे द्वारा किए गए पुण्यों का कुछ अंश आपको मिल रहा है तो आपको क्या दिक्कत है. अगर आपके पास कोई प्रमाण है तो कोर्ट जाएं.'
'अगर कोर्ट नहीं जाना चाहते तो परम धर्म संसद में आए, अगर तुम सही साबित हुए तो हम अपने समाज से लड़कर आपको वो दिलाएंगे और अगर नहीं साबित हुए तो देश को गुमराह के आरोप में जेल में डाला जाएगा.'
उन्होंने कहा कि मैं इससे समर्थन करता हूं कि सनातन बोर्ड होना चाहिए. संपत्तियां को संभालने के लिए व्यवस्था को देखने के लिए लेकिन वो सरकारी नहीं होना चाहिए. उसका गठन और संचालन भी धर्माचार्यों को करना चाहिए. सरकारी बोर्ड को हम स्वीकार नहीं करेंगे.
गौ हत्या करने वाला हिंदू नहीं
उन्होंने आगे कहा कि हमारी परम धर्म संसद में एक प्रस्ताव पारित किया गया है कि देश में गौमाता की दुर्गति क्यों हो रही है और इसके लिए हिंदुओं पर दोष डाल दिया जाता है लेकिन उसका हल नहीं निकाला जाता. बूचड़खाने हिंदू चला रहे हैं ये बोलकर मुद्दे को भटका दिया जाता है. हमने इस पर विचार किया है और निष्कर्ष निकाला है कि जो हिंदू होगा वो गौहत्या नहीं करेगा. जो कर रहा होगा वो हिंदू नहीं हो सकता. इसलिए ये धर्मादेश जारी हुआ है कि ऐसे लोगों को हिंदू धर्म से अलग समझा जाए. हिंदू कहने से हिंदू नहीं होगा. ठग भी खुद को साधु कहता है.
कुंभ की व्यवस्था पर स्वामी जी ने कहा कि ऐसे दावे किए जाते हैं कि यहां गंगा जी का जल स्नान योग्य नहीं है. आचमन योग्य नहीं है तो इसकी जांच होनी चाहिए. जिस गंगा, यमुना और त्रिवेणी जल में स्त्रान के लिए हम आएं हैं, ये पता होना चाहिए कि वो वैज्ञानिक मानकों पर स्नान योग्य है या नहीं. अगर हमें शुद्ध स्नान योग्य जल उपलब्ध हो जाए तो यही सबसे बड़ी व्यवस्था है. बाकी किसी व्यवस्था की हमें शिकायत नहीं होगी.